Monday, December 17, 2018

सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए मायावती-अखिलेश, ये है खास मकसद

कांग्रेस ( ) की तीनों सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होकर बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ( ) ने दूरी बनाई तो उनके नए सहयोगी बने सपा मुखिया अखिलेश यादव (  ) ने भी आमंत्रण के बावजूद शिरकत नहीं की। सपा-बसपा के इस कदम को सीधे सीधे यूपी में बनने वाला गठबंधन के दाव-पेच के रूप में देखा जा रहा है।
यह दोनों नेता इससे पहले दिल्ली में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पहल पर एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों की बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। वैसे तो मध्य प्रदेश की सरकार के बहुमत की कमी को पूरा करने के लिए बसपा व सपा ने समर्थन दि
कांग्रेस ( ) की तीनों सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होकर बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ( ) ने दूरी बनाई तो उनके नए सहयोगी बने सपा मुखिया अखिलेश यादव (  ) ने भी आमंत्रण के बावजूद शिरकत नहीं की। सपा-बसपा के इस कदम को सीधे सीधे यूपी में बनने वाला गठबंधन के दाव-पेच के रूप में देखा जा रहा है।
यह दोनों नेता इससे पहले दिल्ली में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पहल पर एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों की बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। वैसे तो मध्य प्रदेश की सरकार के बहुमत की कमी को पूरा करने के लिए बसपा व सपा ने समर्थन दिया है लेकिन यह फैसला मजबूरी का ही दिखता है। इन दोनों पार्टी के तीन विधायक सरकार की स्थिरता के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। पर इसके बावजूद बसपा का कांग्रेस के प्रति आक्रामक रवैये में फिलहाल बदलाव नहीं दिखता है। मायावती ने तो हाल ही में इन राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा व कांग्रेस को एक जैसा बताते हुए इनसे सावधान रहने को कहा था।
तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने व पार्टी का ग्राफ बढ़ने के बावजूद लगता नहीं कि यूपी में गठबंधन के वक्त कांग्रेस की अपेक्षाकृत ज्यादा सीटों की मांग पर गौर होगा। इस समय गठबंधन की कुंजी मायावती के हाथ हैं और समाजवादी पार्टी गठबंधन बनाने की हर मुमकिन कोशिश के तहत बसपा की राह पर चलती दिखती है।
जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव बाद कांग्रेस के समर्थन से जद सेकुलर के नेता एचडी कुमार स्वामी मुख्यमंत्री बने तब उनके शपथ ग्रहण समारोह में न केवल मायावती ने शिरकत की बल्कि उस वक्त वहां मौजूद सोनिया गांधी व मायावती के बीच खासी आत्मीयता पूर्ण मुलाकात भी हुई थी। इस आयोजन में तब अखिलेश यादव, पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत समेत विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता शामिल हुए थे। उस वक्त बसपा ने जद सेकुलर के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन यूपी के हालात खासे जुदा हैं और बसपा कांग्रेस को बहुत भाव देने के मूड में नहीं दिखती है। उसे लगता है कि कांग्रेस से ज्यादा नजदीकी से उसके वोट बैंक में सेंध लग सकती है। यह वोट कांग्रेस को जा सकता है लेकिन बसपा अप्रत्याशित फैसले लेने के लिए भी जानी जाती रही है।
या है लेकिन यह फैसला मजबूरी का ही दिखता है। इन दोनों पार्टी के तीन विधायक सरकार की स्थिरता के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। पर इसके बावजूद बसपा का कांग्रेस के प्रति आक्रामक रवैये में फिलहाल बदलाव नहीं दिखता है। मायावती ने तो हाल ही में इन राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा व कांग्रेस को एक जैसा बताते हुए इनसे सावधान रहने को कहा था।
तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने व पार्टी का ग्राफ बढ़ने के बावजूद लगता नहीं कि यूपी में गठबंधन के वक्त कांग्रेस की अपेक्षाकृत ज्यादा सीटों की मांग पर गौर होगा। इस समय गठबंधन की कुंजी मायावती के हाथ हैं और समाजवादी पार्टी गठबंधन बनाने की हर मुमकिन कोशिश के तहत बसपा की राह पर चलती दिखती है।
जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव बाद कांग्रेस के समर्थन से जद सेकुलर के नेता एचडी कुमार स्वामी मुख्यमंत्री बने तब उनके शपथ ग्रहण समारोह में न केवल मायावती ने शिरकत की बल्कि उस वक्त वहां मौजूद सोनिया गांधी व मायावती के बीच खासी आत्मीयता पूर्ण मुलाकात भी हुई थी। इस आयोजन में तब अखिलेश यादव, पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत समेत विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता शामिल हुए थे। उस वक्त बसपा ने जद सेकुलर के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन यूपी के हालात खासे जुदा हैं और बसपा कांग्रेस को बहुत भाव देने के मूड में नहीं दिखती है। उसे लगता है कि कांग्रेस से ज्यादा नजदीकी से उसके वोट बैंक में सेंध लग सकती है। यह वोट कांग्रेस को जा सकता है लेकिन बसपा अप्रत्याशित फैसले लेने के लिए भी जानी जाती रही है।

Monday, December 3, 2018

باريس: ماكرون نقل رسالة قاسية جدا لبن سلمان حول مقتل خاشقجي واليمن

أجرى الرئيس الفرنسي، إيمانويل ماكرون، اليوم الجمعة، لقاء وجيزا مع ولي العهد السعودي، الأمير محمد بن سلمان، على هامش قمة مجموعة "G20" الدولية في العاصمة الأرجنتينية بوينس آيرس.

وذكر قصر الإليزيه في بيان أصدره عقب اللقاء أن ماكرون نقل "رسالة قاسية جدا" لبن سلمان تتعلق بقضيتي مقتل الصحفي السعودي، جمال خاشقجي، والأزمة اليمنية

وأشارت الرئاسة الفرنسية إلى أن ماكرون لفت خلال لقائه بن سلمان إلى إصرار الأوروبيين على إشراك خبراء دوليين بالتحقيق في مقتل خاشقجي

ونشرت وزارة الخارجية السعودية على حسابها في "تويتر" صورا تظهر الأمير محمد خلال محادثاته مع بعض زعماء الدول الأعضاء في "G20"، بينهم ماكرون.

وقبل ذلك قال ماكرون، عبر حسابه في موقع "تويتر"، إنه "كان واضحا جدا فيما يخص السعودية"، مؤكدا أن هذا الموضوع سيمثل أحد القضايا التي ستناقشها الدول الأوروبية المشاركة في القمة غدا السبت.

وسبق أن أعلن الرئيس الأرجنتيني، ماوريسيو ماكري، أن قمة "G20" بالأرجنتين قد تناقش الاتهامات المنسوبة لولي العهد السعودي في قضيتي مقتل خاشقجي والأزمة اليمنية.

وتجري هذه الزيارة على خلفية تقارير تحدثت عن قيام النيابة الأرجنتينية، بعد ورود طلب "مناسب" من قبل منظمة "هيومن رايتس ووتش" الحقوقية، بالنظر في قضية ضد الأمير محمد مرتبطة بمقتل خاشقجي وعمليات التحالف العربي بقيادة السعودية في اليمن.اعلن جهاز المخابرات العراقي، الجمعة، عن اعتقال قيادي بارز في تنظيم "داعش" داخل بغداد.

وقال الجهاز في بيان تلقت، السومرية نيوز، إن "جهاز المخابرات الوطني العراقي القى القبض على أحد قيادات تنظيم داعش، المدعو حمزة الكردي، في بغداد، وذلك بالتعاون مع إحدى محاكم التحقيق وقيادة عمليات بغداد".

واضاف الجهاز، أن "المعتقل أحد قيادات تنظيم داعش، المدعو جمال خليل طه زناد المشهداني والمكنّى بأبي حمزة الكردي".

وأوضح الجهاز أن "الكردي كان يشغل مناصب رفيعة في ولاية شمال بغداد، وولاية كركوك، إضافة إلى لعبه دوراً رئيسياً في تنفيذ العديد من العمليات الإجرامية، التي طالت العديد من المواطنين في العراق".

وتابع الجهاز، أن "أهم تلك العمليات هي قصف مدينة تازة بالقذائف والصواريخ الكيمياوية، وقيادته لمعركة الحويجة التي أسفرت عن أسر 15 عنصراً من قوات البيشمركة، وكذلك عملية السيطرة على مدينة البشير في كركوك، كما شارك بالهجوم على مدينة تدمر الأثرية في سوريا".

وكشف الجهاز، أن "العملية تمت بعد رصد الكردي الذي تنقل بين دولتين من دول الجوار حتى عاد إلى بغداد ليستقر فيها"، مشيراً الى أن "الاعتقال تم بعملية خاطفة بالتعاون مع محكمة تحقيق إرهاب الكرخ، وقيادة عمليات بغداد قبل أن يتم تدوين اعترافاته قضائياً".

Wednesday, November 14, 2018

मेलानिया ट्रंप ने महिला सुरक्षा सलाहकार को निकालने को क्यों कहा?

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने एक शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी को नौकरी से निकालने की मांग की है.
अमरीकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक अक्तूबर में अफ़्रीका के दौरे के दौरान अमरीका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप और डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मीरा रिकार्डेल के बीच नोकझोंक हो गई थी.
उनकी प्रवक्ता ने कहा, "प्रथम महिला के कार्यालय ने कहा है कि इस व्हाइट हाऊस में अब उनकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं है."
अभी व्हाइट हाऊस और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने इस घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
अमरीकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक ट्रंप व्हाइट हाऊस के वेस्ट विंग में कुछ बड़े बदलाव करने के बारे में सोच रहे हैं. माना जा रहा है कि वो व्हाइट हाऊस के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जॉन केली या होमलैंड सिक्यूरिटी विभाग के प्रमुख कर्स्टजेन नीलसन को हटा सकते हैं.
डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर मीरा रिकार्डेल पिछले सात महीनों से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोन बोल्टन के नेतृत्व वाली शक्तिशाली राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का हिस्सा हैं.
अमरीकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक मेलानिया और मीरा के बीच अफ़्रीका यात्रा के दौरान विमान में सीट पर बैठने को लेकर नोकझोंक हुई थी.
इस यात्रा के दौरान एबीसी नेटवर्क को दिए साक्षात्कार में मेलानिया ने कहा था कि व्हाइट हाऊस में कुछ ऐसे लोग हैं जिन पर वो भरोसा नहीं करती हैं.
मेलानिया ने कहा था, "मैं राष्ट्रपति को पूरी ईमानदारी से अपनी राय देती हूं और फिर वो फ़ैसला करते हैं कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है."
मंगलवार को एक रिपोर्ट में द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा था कि मेलानिया ट्रंप की टीम को लगता है कि प्रथम महिला और व्हाइट हाऊस के बारे में आई कुछ नकारात्मक रिपोर्टों के पीछे मीरा रिकार्डेल ही हैं.
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि उनकी रक्षा मंत्री जेम्स मेटिस के साथ भी रक्षा नीतियों को लेकर झड़पें होती रही हैं.
वहीं मेलानिया ट्रंप की ओर से जारी बयान में ये भी कहा गया है कि उनके और जॉन केली के बीच रिश्ते सामान्य हैं. बायन में कहा गया, "चीफ़ केली और श्रीमति ट्रंप के बीच रिश्ते बहुत सकारात्मक हैं और दोनों के बीच कभी कोई विवाद नहीं हुआ है."
इसी बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने कुछ तस्वीरें ट्वीट की हैं जिनमें वो व्हाइट हाऊस में दिवाली मनाते दिख रहे हैं. इन तस्वीरों में मीरा रिकार्डेल भी हैं.
रिकार्डेल इससे पहले वाणिज्य विभाग में थीं और उनके पास अमरीकी सरकारों में काम करने का दशकों का अनुभव है.
इससे पहले वो राष्ट्रपति ज़ॉर्ज बुश के कार्यकाल में रक्षा विभाग में काम कर चुकी हैं.
वाशिंगटन में बीबीसी संवाददाता एंथॉनी ज़ुर्कर के मुताबिक व्हाइट हाऊस में टकराव अब खुलकर सामने आ गया है.
पर्दे के पीछे का खेल और एक-दूसरे पर पीछे से वार इस प्रशासन के लिए कोई नई बात नहीं है. ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से ही वेस्ट विंग में कुछ गुट अपना प्रभुत्व स्थापित करने के प्रयास करते रहे हैं.
लेकिन इस बार नई बात ये है कि प्रथम महिला के कार्यालय ने व्हाइट हाऊस की एक कर्मचारी को अधिकारिक तौर पर निशाने पर लिया है.
राष्ट्रपतियों की पत्नियों का व्हाइट हाऊस के कर्मचारियों से विवाद का इतिहास रहा है. उदाहरण के तौर पर रोनाल्ड रीगन की पत्नी नैंसी रीगन का चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ डोनल्ड रीगन के साथ लंबा विवाद रहा. हिलेरी क्लिंटन की भी व्हाइट हाऊस के कर्मचारियों के साथ तकरारें होती रहीं.
हालांकि ये बातें कभी भी खुलकर सबके सामने इस तरह नहीं आईं थीं. मध्यावधि चुनाव बीत गए हैं और अब ट्रंप प्रशासन में टकराव के हालात बन रहे हैं.
ट्रंप प्रशासन में ताक़त के दो केंद्रों चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जॉन केली और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन आमने-सामने हैं. एक बड़ा भूकंप आने से पहले छोटे-छोटे झटके आने लगे हैं.

Monday, October 1, 2018

城市成为气候行动领导者

色和平组织近日发布的一份 报告显示,英国有数以万计的孩子呼吸着污染物超标的空气。就在报告发布当日,一群来自世界各地的市政府官员和金融家在伦敦召开会议,探讨城市在未来减少碳排放和建设可持续基础设施中的作用

这次会议由C40城市气候领导联盟(由91个城市组成的联盟,旨在应对气候变化)在伦敦市政厅召开,旨在探讨如何在全世界范围内动员巨额私有资本支持低碳基础设施的建设。

目前,该联盟75%的可持续项目(涉及交通、能源和垃圾处理等领域)依靠的是公共部门的资金,也就是说在私有资本的吸纳上存在巨大的短板。

城市人口密集,是温室气体排放的主要来源,但在洪灾、干旱和热浪等气候变化引起的极端天气事件面前又特别脆弱。

因此,市级政府领导人在国际社会应对气候变化的过程中扮演着核心角色。一些市级政府领导人也已经认识到,应对气候变化不能仅依赖国家或国际层面的行动。

特朗普政府主政后
大肆打压气候行动,不仅意图大幅削减美国航空航天局(NASA)气候研究和美国国家环保局的资金,废除《清洁电力计划》,还威胁说要撤回向联合国提供的数十亿美元气候资金。与此同时,欧洲G20国家部长们在距离7月份召开的G20峰会还有3个月的时候,投票将气候融资内容从最新的声明草案中删除。

面对这些威胁,很多城市的应对方法是加倍团结,将未来发展的主动权掌握在自己手中。

“气候变化的领导权正在逐渐向下延伸,最明显的是在城市层面。”英国气候变化与工业大臣尼克
·赫德如是说。

他又说:“(在全世界范围内)政治领导方式正在变革,协作越来越重要。城市必须找到比以前更清洁、更完善的新的发展路径。这也给它们带来了巨大压力,须尽快地将创新解决方案市场化。”

面对就英国脱欧后工业战略的各种猜测,赫德声称英国的气候行动“将力度空前”。

世界资源研究所罗斯可持续城市中心总监阿尼
·达斯古普塔说:“我们与各城市的互动表明,美国的市政府们已经站了出来。在气候政策上,世界各地的市级政府都比国家政府更进步,这将是一个长期趋势。”

争分夺秒

C40城市气候领导联盟和奥雅纳工程顾问公司最近的一份
报告 指出,要将全球温度上升控制在比前工业化水平高2摄氏度之内,在2020年之前低碳基础设施投资必须达到3750亿美元。这似乎是一个不可能实现的目标。

赫德警告说,到2050年全世界三分之二的人口都将住在城市,未来五年围绕基础设施所做的决策将决定各国是否能兑现其在“ 巴黎协定”中所做的承诺。

C40城市气候领导联盟执行主席马克·沃茨说,城市层面采取的行动可以完成巴黎协定中2摄氏度目标所需减排量的40%,并且强调了可持续发展投资所带来的经济机遇。

他说:“( 城市)有3000个项目有待实施,其中700个是建筑项目。我们目前只筹集了15%的资金,这意味着155亿美元的投资机会。”

英国计划在未来4到5年引进4.5万辆电动巴士,这代表着超过100亿英镑的投资机会。而今年晚些时候在考文垂开业的新电池厂,也会给当地提供数百个就业机会。

融资不易

快速城镇化是引入私有资本的障碍之一,因为这意味着总是没有足够的资金来支持无尽的需求。此外,影响私有资本流入的因素还有政治动荡和对资金流动的规制。

花旗银行企业可持续性主管瓦莱里
·史密斯指出,发展中国家遏制公债规模的债务限额阻碍了这些国家融资渠道的发展。而发达国家的问题则可能是信用评级不足导致的银行贷款额度不够。

解决之道

金融家们呼唤更具“可融资性”的商业模式、放松金融监管和出台更多的财政鼓励措施,如对投资者的减税优惠。市级政府领导人们则呼吁加强各级政府(从街道到国家)间的合作,并就彼此的金融需求进行专业的沟通。

英国建筑承包商 公司的格雷格
·霍尔强调说,工程负责人和投资者在评估建筑投资的风险和回报时必须放眼长远,同时将员工医保福利和生产力等指标纳入综合考量。

会议上列举了一些利用公共资金成功动员私有资本的例子,包括巴塞罗那利用停车费来为骑行系统融资(由一家私营公司经营),以及麦德林利用空气污染税为骑行系统提供资金。

到2020年,中国城市人口比例将达到60%,投资可持续基础设施成为当务之急。

要实现“
巴黎协定”的目标,城市至关重要。在城镇化和人口增长的压力下,城市是否能携手私有资本成功对现有活动进行去碳化,并且获得可持续的发展,将至关重要。

翻译:奇芳

Tuesday, September 25, 2018

घटना के बाद क्या हुआ?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर हुई पत्थरबाजी की घटना के बारे में नंदन टोला का जो कोई भी बात कर रहा था, वह बात करते-करते भावुक हो उठता.
बुजुर्ग विषनाथ पासवान लाठी का सहारा लेकर चलते हैं.
घटना के उन दिनों के बारे में बताते हैं, "दो महीने तक टोला में कोई आदमी नहीं रहता था. सब लोग गांव छोड़ कर भाग गए थे. घर में केवल महिलाएं रहती थीं. पुलिस पूछताछ और गिरफ्तारी के लिए आती और महिलाओं के साथ ज्यादती करती.''
''पत्थरबाजी कौन किया था ये सब फोटो में आ चुका है. लेकिन नाम लगा दिया गया कि रविदास टोला और मुसहर टोला पत्थरबाजी किया है."
"हमलोगों का कोई काम भी नहीं हुआ. हमलोगों को मुख्यमंत्री से मिलने भी नहीं दिया गया. और बाद में हमारी बात भी नहीं सुनी गई. उल्टा पूछताछ के नाम पर और बदला लेने की नियत से हमारे यहां की बहु बेटियों पर जुल्म किया गया."
पास ही में खड़े मुटुर राम विषनाथ पासवान को रोककर कहते हैं, "आप ही बताइए. इस टोला में हरिजन और मुसहर के कुल 100 घर हैं. जिसमें 100 से अधिक लोगों के ख़िलाफ़ नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई थी और करीब 700 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा हुआ था. पुलिस ने हड़बड़ी में सब किया. खूब अत्याचार सहे हमलोग. जो औरतें आज तक कभी घर से बाहर नहीं निकलीं, उनके ख़िलाफ़ भी केस कर दिया."
यमुना राम खुद को पत्थरबाजी की घटना में सबसे सताया हुआ मानते हैं.
कारण पूछने पर कहते हैं, "पुलिस ने पीटकर अधमरा करके छोड़ दिया था. उन्हें लगा था कि मैं मर गया हूं. मेरी पिटाई होती देखकर जब पत्नी राम रत्ती मुझको बचाने आई तो न सिर्फ उसे बल्कि टोले के दूसरे लोगों को भी पीटा गया. हम तो शौचालय के लिए खड़े थे. क्योंकि टोला में किसी के पास उतनी जमीन ही नहीं है कि शौचालय बनाया जा सका. हमलोग तो मुख्यमंत्री से केवल यही कहना चाहते थे."
पुलिस की जांच रिपोर्ट और डुमरांव थाने में दर्ज प्राथमिकी में कुछ ऐसे नामजद अभियुक्त भी शामिल हैं, जिनकी घटना यानी 12 जनवरी से पहले ही मृत्यु हो चुकी है.
पुलिस की एफ़आईआर में विजय राम और सुशील महतो के दो ऐसे ही नाम शामिल हैं.
पुलिस की एफ़आईआर के सताए हुए अभियुक्तों की बात करें तो एक नाम आता है बृजबिहारी पासवान का.
बृजबिहारी बताते हैं कि उनके घर में चार अभियुक्त हैं. उनके अलावा बेटे, बहु और पत्नी का नाम भी एफआईआर में शामिल है. जबकि बेटा पिछले डेढ़ साल से परदेस से आया नहीं है. बहु घर के बाहर नहीं निकलती और पत्नी की तबियत ऐसी नहीं है कि वह घर से बाहर निकल कर कहीं जा सके.सात निश्चय योजना' की समीक्षा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर हुए हमले का दोषी कौन है इसकी जांच पुलिस कर रही है. मामला अब अदालत के अधीन है.
लेकिन जब पहली बार मामला प्रकाश में आया था तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार और पार्टी के लेवल से वस्तुस्थिति की जांच के लिए बिहार जदयू अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष विद्यानंद विकल को नंदन गांव भेजा था.
विकल ने 19 जनवरी के दिन नंदन गांव में जाकर मामले की तहकीकात की थी.
विकल ने वापस आकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि कांड के मुख्य साजिशकर्ता रामजी यादव और उसके दूसरे शागिर्दों को केंद्र में रखकर अनुसंधान की त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए.
विकल ने अपनी रिपोर्ट के आखिर में यह भी लिखा था कि "महिलाओं, दलितों-महादलितों और अन्य वर्ग के निर्दोष लोगों का नाम प्राथमिकी से हटाने और जेल में बंद लोगों को सरकार के स्तर से रिहा करने का विचार करना चाहिए."
बीबीसी के साथ बातचीत में विद्यानंद विकल ने कहा, "हमने अपनी जांच पूरी ईमानदारी से की. वहां जाकर पीड़ितों से बात की. मेरी ही रिपोर्ट के बाद सभी को वस्तुस्थिति का मालूम चल पाया था. उसके बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये ऐलान किया था सरकार अभियुक्तों के बेल का विरोध नहीं करेगी."
स्थानीय विधायक ददन पहलवान और मंत्री संतोष निराला की भूमिका पर सवाल उठाते हुए विकल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि "स्थानीय विधायक ददन पहलवान और मंत्री संतोष निराला को मुख्यमंत्री के भ्रमण के पूर्व ही महादलित टोला वाले लोगों ने अपनी बातों से अवगत करा दिया था. यदि विधायक और मंत्री जी ने थोड़ी गंभीरता के साथ महादलितों को समझाने की कोशिश की होती तो साजिश रचने वालों के चंगुल में जाने से बचा लिया जा सकता था."
विकल कहते हैं, "मामले का असली साजिशकर्ता रामजी यादव थे जो खुद एक राजद समर्थक है. वो और उसके शागिर्दों ने महादलितों को प्रदर्शन और पथराव के लिए उकसाया था. हमारी जांच में ये भी मालूम चला कि उसका वर्तमान मुखिया से तनाव था. वह राजद समर्थक है. हमनें तो प्राथमिकी में दर्ज 34 लोगों का नाम छांट कर रखे हैं जो राजद समर्थक हैं."
इस सवाल पर कि उनकी रिपोर्ट में दलितों, महिलाओं और महादलितों के नाम प्राथमिकी से हटाए जाने वाले सुझाव पर मुख्यमंत्री ने क्यों नहीं अमल किया?
जवाब में विकल कहते हैं, "उनका काम केवल रिपोर्ट करना था. उनकी रिपोर्ट के बाद से ही सरकार का रुख मामले पर नरम पड़ गया. हमने अपनी रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री महोदय के विचारार्थ छोड़ दिया था."
हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी ई-मेल के जरिए गांव वालों की मांगें और उनके आरोपों पर जवाब मांगा है. उनके जवाब की प्रतीक्षा है.

Thursday, September 6, 2018

नज़रिया: भारत-अमरीका के सम्मेलन से क्या हासिल हुआ

उन्होंने कहा कि कांग्रेस तेलंगाना के लोगों को कांग्रेस की 'दिल्ली सल्तनत का ग़ुलाम' बनाना चाहती थी और टीडीपी उन्हें आंध्र का ग़ुलाम बनाना चाहती है.
उन्होंने इस बात से इनकार किया उनकी भारतीय जनता पार्टी से नजदीकियां बढ़ रही हैं.
उन्होंने कहा, "किसी भी पार्टी के साथ गठजोड़ नहीं होगा और राज्य में त्रिकोणीय संघर्ष होगा."
केसीआर ने ये भी माना कि टीआरएस के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) एक दोस्ताना पार्टी की तरह है. उन्होंने उनकी सरकार को अहम मौके पर समर्थन दिया था.
चुनाव के लिए टीआरएस कितनी तैयार है, इसकी झलक इस बात से मिली कि विधानसभा भंग होने के कुछ ही घंटों में केसीआर ने अपनी पार्टी के 105 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. उन्होंने कहा कि बाकी 14 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा एक हफ़्ते में कर दी जाएगी.
इस बीच, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है.
उन्होंने कहा कि चुनाव में लोग केसीआर के भ्रष्ट और पारिवारिक राज्य को खारिज करेंगे और कांग्रेस जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि केसीआर को बताना चाहिए कि उन्होंने जल्दी चुनाव कराने का फ़ैसला क्यों किया, इससे राज्य पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा. दिलचस्प है कि साल 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य विधानसभा में तय वक्त से पहले चुनाव कराने का फ़ैसला किया था. चुनाव आयोग ने साल 2004 के संसदीय चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराए थे और नायडू की तेलुगू देशम पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था.
भारत और अमरीका के रक्षा और विदेश मंत्रियों का बहुप्रतीक्षित '2+2' सम्मेलन गुरुवार को दिल्ली में संपन्न हुआ. इसमें भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने हिस्सा लिया.
इस सम्मेलन में दोनों देशों के नेताओं ने कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की और कुछ ऐसे समझौतों पर भी दस्तख़त किए, जो लंबे समय से लटके हुए थे. इसमें व्यापार, सुरक्षा और आतंकवाद जैसे मामलों पर भी बात हुई.
पोम्पियो ने कम्युनिकेशंस, कंपैटिबिलिटी, सिक्योरिटी एग्रीमेंट ( ) को दोनों देशों के रिश्ते में मील का पत्थर बताया. भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इससे भारत की रक्षा क्षमता बढ़ेगी.
सबसे बड़ी बात है 
अगर हम देखें तो भारत की ओर पाकिस्तान की ओर से थोपे जाने वाले चरमपंथ पर अमरीका ने जितना दबाव बनाया है, उतना किसी ने नहीं बनाया. लेकिन पाकिस्तान के साथ अमरीका के अपने हित हैं और कुछ दिक्कतें भी हैं.
इसलिए इस मामले को लेकर कुछ सवालिया निशान जरूर हैं मगर यह तो मानना पड़ेगा कि भारत को दहशतगर्दों की जितनी ख़ुफ़िया सूचनाएं मिलती हैं और भारत-अमरीका के बीच ऐसी सूचनाओं को जितना-आदान प्रदान होता है, उसमें फ़र्क आया है.
जैसे कि पाकिस्तान के अंदर सक्रिय दहशतगर्दों को नामजद करना, उनके ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरन्ट जारी करना. हाल ही में दाऊद इब्राहिम के लिए मनी लॉन्डरिंग का काम करने वाले उसके सहयोगी के ख़िलाफ़ अरेस्ट वॉरन्ट जारी हुए हैं. तो अमरीका इसपर जितना काम कर पाया है, उतना भारत ख़ुद नहीं कर पाता.
लेकिन सवाल यह है कि क्या अमरीका चरमपंथी ठिकानों को ध्वस्त करेगा या भारत की इस काम में मदद करेगा, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगा. फिर भी, दहशतगर्दी के खिलाफ जंग में भारत-अमरीका करीब ही आए हैं. पुराने आश्वासनों को दोहराने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. अगर प्रतिबद्धताओं को दोहराया जाता है तो उसका स्वागत करना चाहिए.
ईरान पर अमरीका द्वारा लगाए प्रतिबंधों का उसके साथ व्यापार करने वाले देशों पर असर पड़ रहा है जिनमें भारत भी शामिल है. इसी तरह भारत रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदना चाहता है मगर ऐसा करने पर उसे अमरीकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में क़यास लगाए जा रहे थे कि 2+2 सम्मेलन के बाद इस मामले में स्थिति स्पष्ट हो सकती है.
इस संबंध में कयास जरूर हैं कि अमरीका रूस से संभावित समझौते को लेकर भारत के लिए नरमी लाएगा या नहीं. मगर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. दूसरा ईरान का प्रश्न यह है कि क्या अमरीका के साथ क़रीबी बढ़ने से भारत को यह छूट मिलेगी कि वह ईरान के साथ अपने रिश्तों के पूरी तरह न तोड़ पाए. इन सवालों का जवाब आने वाले समय में ही मिल पाएगा.
यह ज़रूर है कि इस सम्मेलन से भारत और अमरीका के बीच नज़दीकियां बढ़ी हैं औ  समझौते पर हस्ताक्षर होना इसका संकेत है. यह समझौता लंबे समय से लटका हुआ था और अमरीका में इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही थी.
अमरीका का मानना था कि भारत अगर उसके साथ अच्छे रिश्ते चाहता है तो उसे इन समझौतों को लेकर अपने पूर्वग्रह दूर करने होंगे. मगर मुझे लगता है कि इस सम्मेलन के बाद वह चिंता काफ़ी हद तक हल हो गई है. अब दोनों देशों के रिश्ते यहां से और आगे बढ़ेंगे.
पर भारत और अमरीका का समझौता. यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह भारत और अमरीका के रिश्ते को अगले स्तर पर लेकर जाएगा. इसका रक्षा मामलों में भी महत्व है और कूटनीतिक मामलों में भी.

Monday, September 3, 2018

北部湾的海水珍珠

这是中国北海市附近的珍珠养殖平台,在这里,珠核被植入珍珠贝。为了降低死亡率,这些平台距离渔网沉入的地方都很近。图片由萨利姆•H•阿里拍摄。
 
嘉宾作者:萨利姆•阿里,来自佛蒙特大学(美国)。
 
 
几千年来,宝石在中国文化中一直占据重要地位。在民间,虽然玉石翡翠向来占据最高地位,被称为“天堂美石”,但在中国辉煌的专制历史中,珍珠也占有一席重要之地。在中国的民间传说中,珍珠被认为是“龙的泪珠”,用这一比喻来形容北部湾海洋珍珠养殖业的故事也正合适。
 
广西壮族自治区北部因奇异的喀斯特地貌而闻名世界,此处标志性的陡峭起伏的山峦常常成为中国画的背景。而该省南部地区也出产许多珍宝,留心的游客就能捡到。这一地区是以构成该省40%人口的壮族来命名的(广西是中国五个自治区之一,其余四个分别是西藏、新疆、宁夏和内蒙古)。
 
沿海城市北海市是中国历史上重要的珍珠业中心,也是一个主要的“海上丝绸之路”贸易中心。与其相邻的内陆城市合浦县历来被视为古代中国的珍珠贸易中心,但因为北海的沿海位置优势,该地区商业和旅游业的已大量向北海市转移。北海市的老城区有许多破败的殖民时期建筑,遗留自19世纪贸易全盛期,当时这座城甚至还被吹嘘为美国领事馆。
 
今天,这座拥有超过一百万人口的城市和中国其他许多城市一样,渴望着发展,房地产市场十分繁荣,吸引工业投资的动力也异常充足。尤其值得注意的是,该市计划在与广东省交界的地方建造一座炼油厂。北海市政府强调这座新的炼油厂将会达到更高的环保标准,不会对保留下来的珍珠养殖场产生威胁——这里的珍珠养殖场是由广西东园珍珠产业有限公司经营的。该公司经营模式十分多样,从给养到珍珠养殖到珠宝制造,中国的珍珠商表现出了非凡的适应性。
 
另一家公司,北海源龙珍珠有限公司,已经在菲律宾和印度尼西亚投建了珍珠养殖场,那里的水质相对来说更加干净,更适合珍珠贝的养殖。该公司的产品基地也实现了多样化生产,涵盖了贝类到宝石珍珠,从而加强其经济模式的弹性。由珍珠粉制成的化妆品仍然是市场上最受欢迎的副产品,但现在,由于不能在水质较差的水域随时收获宝石珍珠,这些公司也在加强对牡蛎肉和牡蛎壳的有效利用。珍珠贝虽然并不能算作美味,但它们还是可以食用的,因此饭店也提供牡蛎肉作为食物。北海珍源海洋生物有限公司还利用牡蛎干生产烹饪产品,或是提炼用于天然产品保健的有机酸分馏物(胆汁酸的衍生物,例如牛磺胆酸等)。
 
尽管在上海和其周边省份,中国的淡水珍珠业已经繁荣多年(占全球珍珠市场90%的份额),但海水珍珠养殖业却急剧衰退。得益于珍珠中心的名声,北海仍然吸引着大量来自国内和邻国越南的游客,但由于环境污染导致贝类大量死亡,该区域许多珍珠养殖场也已经关闭,珍珠商不得不转而销售进口珍珠。
 
当前中国正面临着挖掘旅游业潜力和可持续发展的迫切需求,因此海洋珍珠养殖业应当得到更广泛的关注。海洋珍珠养殖业能为旅游业和其他服务行业带来巨大的乘数效应,同时也会为环境保护创造内在的经济刺激。工业企业的选址应考虑到沿海地区现有的生计情况,因为与珍珠养殖场相比,工业企业的选址更具有灵活性,珍珠养殖场的选址对水温、盐度、深度以及化学成分都非常敏感。
 
从北海海滩越过地平线望去,人们只能希望珍珠可以为中国政府提供一个教训,当局应减缓传统工业化的进程,对可持续发展企业的竞争投以更多的关注。
 
本篇评论最早发表于《国家地理》杂志,征得作者同意后在此再度发表。作者萨利姆•阿里于今年六月实地访问了广西,这是他针对珍珠养殖业可持续性的更广泛研究项目的一部分,该项目得到了蒂芙尼基金会的支持。特别感谢广西社会科学院促成了我此次的访问之行(尤其感谢黄小青和陈洪生提供的帮助),感谢北海市政府,特别是北海市外事办、渔业站(尤其是畜牧和水产局的邹建伟)和文中所提到的几家珍珠公司,感谢他们对我此次访问之行的合作。
 

Saturday, September 1, 2018

环保组织认为昆明石化项目环评无效

日,数家环保组织向环保部提交了关于昆明石化项目的行政复议申请,要求环保部门撤销环评批准。包括自然之友、自然大学、公众环境研究中心和云南省当地的绿色流域在内的环保组织认为,昆明石化项目的环境影响报告中没有足够涉及公众参与的内容。

延伸阅读:《谁妖魔化了PX?
北京市公众环境研究中心主任马军说:“在涉案项目环境影响报告书及其附件中,根本看不到公众参与的踪影……在报告书的综合评价结论中,欠缺关于公众意见的结论性评价。”

现行《
环境影响评价公众参与暂行办法》规定,环境影响报告书中没有公众参与篇章的,环境保护行政主管部门不得受理。据此,绿色流域主任于晓刚认为,环保部在缺失公众参与篇章的情形下批准环评文件,不符合行政许可的法定程序,“依法应撤销该具体行政行为。”

中国石油于6月25日公布了人们期待已久的云南石化项目环境影响报告。据这份26页的环境影响报告,昆明在建的千吨炼油项目对当地的环境
几乎没有有害影响

尽管环境影响报告公布本身可被视为一种进步——今年五月
接受媒体采访时,云南某官员称该项目的环评报告涉密,不能公开。然而环保人士却并未对此新进展感到欣慰。

自然之友理事李波说,“作为一个涉及重大公众环境权益的项目,中石油云南1000万吨/年炼油项目的前期信息公开却极为有限。”

昆明石化项目为中缅输油管道配套项目,2015年建成后将能满足云南53%的用油需求量,继而缓解云南省油荒现状。

尽管公众更关注有关可用于生产化纤及塑料瓶的致癌物质PX(对二甲苯)的内容,且该石化项目此前因可能包含PX生产项目而引起公众关注并导致数次反PX集会,然而在新近公开的昆明石化项目环境影响报告中,全文未有提及PX。

荷兰瓦格宁根大学社会科学院院长、学术期刊《生态政治学》的联合主编亚瑟·莫尔早前在接受中外对话采访谈到昆明石化项目时表示,“缺乏透明度和公众参与将导致(公众)对于工业设施的设计、选址和决策上的不信任。”

他们认为,PX其实没多少毒性,跟其他很多化工产品相比,它的毒性甚至“极小”。它在产业链中的地位非常重要,中国不得不生产。但PX工厂先后在各地受阻——先厦门,后大连,再宁波,目前在昆明又受质疑。这么好的产品居然成“过街老鼠”,实在令人痛心疾首。

延伸阅读:《环保组织认为昆明石化项目环评无效

假设以上论述成立,那么,到底是谁妖魔化了PX? 是“不明真相的”公众吗?

非也,是对真相心知肚明的地方政府和石化企业。

像中石油云南炼油项目这样的大工程,数年前就进入程序,但当地公众一直不知情。今年5月公众开始反对,直到两个月后,在部分项目已开工的情况下,中石油才公布环评报告书。但令人惊讶的是,这个环评报告居然是非法的,完全缺乏公众参与的部分。也就是说,这个大项目首先在程序上违法。

而且,昆明原港澳政协委员伍宗兴给昆明市长的公开信中说,做这个环评报告的单位,也是中石油的下属机构。儿子给老子写保证书,真是举贤不避亲。

就是这样一份完全违法的环评报告,居然成为当地政府的决策依据之一(或至少是借口之一),居然也堂而皇之地通过了环保部门的批准。

我不大明白的是,这么无毒无害、对国计民生意义重大的项目,当地政府和企业为什么要偷偷摸摸、不敢见人?光天化日下大道通衢你不走,非得夜黑风高蒙着面罩跳墙,还不许人家群起而捉贼吗?到底是谁在妖魔化PX?

回顾一下,其实被地方政府和企业所“妖魔化”的项目可真不少。比如垃圾焚烧,企业和政府坚持说无毒无害。在秦皇岛有个垃圾焚烧项目,业主出具的环评报告中,的确有公众参与部分,这比昆明要做得好。但令人惊恐的是,那些“参与过”并签字的“公众”中,有的是多年杳无音讯的逃犯,有些已去世多年。环评单位如何召唤他们重返人间支持建垃圾焚烧厂,一直是个谜。

企业和地方政府一定要认识到,引起公众怀疑、恐慌与反对的,不一定是某个项目的“毒性”如何,而是决策者不正常的、“妖魔化”的行为。项目再好,不正常的行为一定会将其“妖魔化”,给自己增添障碍。只有公开、透明、合法、尊重公众权利,大家才能够在正常、理性的轨道上解决问题。

Tuesday, August 28, 2018

中国总理首次明确提出碳排放强度降低幅度

3月5日,中国国务院总理李克强在其向全国人大代表会议所作的政府工作报告中,提到的环境治理目标和举措比往年更明确和具体。

在以往的政府报告中,从未明确提到要碳排放量降低的幅度。李克强在此次政府报告中说,今年中国二氧化碳排放强度要降低3.1%以上,化学需氧量、氨氮排放都要减少2%左右,二氧化硫、氮氧化物排放分别减少3%左右和5%左右。

碳排放强度是指每单位国民生产总值的增长所带来的二氧化碳排放量。该指标主要是用来衡量一国经济同碳排放量之间的关系。

李克强表示要让污染环境者付出沉重代价。他认为,铁腕治理,才能打好节能减排和环境治理攻坚战,严格环境执法,让偷排偷放者付出沉重的代价,要对姑息纵容者问责。

一些环境新举措都是首次在政府报告中提出,如推行环境污染第三方治理(以前是谁污染、谁治理),2005年底前注册运营的黄标车(高污染排放车辆)全部淘汰等。

李克强提出了一系列发展清洁能源的设想,如加快建设57个重大水利工程项目,今年再开工27个项目,在建重大水利工程投资规模超过8000亿元。并提出安全发展核电,开发利用页岩气、煤层气等。

注:此文为新闻快讯,中英版本内容非一一对应,望请谅解最佳环境报道奖”评选由中外对话和英国《卫报》 联合发起,旨在提倡客观、公正、深入的环境报道,奖励优秀环境记者,促进中国环保事业。此前五届活动,共有77位记者或团队获奖。

2015年是中外对话“最佳环境报道奖”第六届活动,将与网易新媒体中心合作筹办。

继2013年设立“年度最佳青年环境记者”奖,以奖励工作不满三年的环境记者后,由于自媒体在环境报道领域的作用日渐增长,中外对话自2015年起将增设“年度最佳环境自媒体”奖。

新的一年即将到来,第六届评选活动也拉开了帷幕。2014年环境报道领域都有哪些优秀的作品?我们期待与您分享!

作品征集要求:

201411日至20141231间,以文章、摄影、摄像作品形式正式发表于纸媒、网络媒体的环境报道作品,以及具有一定公信力和影响力的环境自媒体

提交方式:

参评作品可由媒体推荐、他人推荐和自荐。

报道作品参选:

请于2015年4月1日前,将参评作品的电子件及网络链接发送到  m(#替换为@), 电子件和邮件统一命名方式为:“CD”+作品名称+作者名字+所在媒体名称(缺失项以“0”代替;同一作者有多份作品,请在作者名字后编号),并请撰写简要的推荐说明,内容包括:选题的重要性、采访写作的专业表现、作品影响力。

环境自媒体参选:

请将该自媒体的详细信息,包括媒体链接,建立时间,平均文章访问量,目标受众,以及影响力评估,发送到上述邮箱,电子邮件和介绍文档统一命名为:“CD+环境自媒体参选

征集时间:

2015年1月15日至2015年4月1日

奖项:

评选“年度最佳记者奖”、“最佳调查报道奖”、“最佳影响力奖”、“最佳青年记者奖”、“最佳公民记者奖/自媒体奖”各一个,此外还将评选6-8个优秀奖。(根据作品情况,评委会也可能机动调整奖项类别)。

自媒体奖是今年第一次颁发,旨在奖励为环境保护做出特殊贡献的环境自媒体平台。

相关活动及宣传:

中外对话将翻译获奖作品,并以双语形式发表于网站和期刊;合作媒体“网易新媒体中心 ”将同步报道评奖结果和颁奖盛况;同时,我们将通过微博和微信推介入围作品。

Friday, August 17, 2018

इमरान ख़ान होंगे पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री

पाकिस्तान तहरीके इंसाफ़ (पीटीआई) के नेता इमरान ख़ान को पाकिस्तान का 22वाँ प्रधानमंत्री चुन लिया गया है. उन्हें नेशनल असेंबली में 176 वोट मिले. उनके प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के शहबाज़ शरीफ़ को 96 वोट मिले.
वहीं बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
नेशनल असेंबली के स्पीकर ने जैसे ही नतीजे घोषित किए, नामंज़ूर-नामंज़ूर के नारे असेंबली में गूंजने लगे.
मुस्लिम लीग नून के सदस्य डायस के सामने जमा होकर वोट को इज़्ज़त दो और शाहबाज़ शरीफ़ के समर्थन में नारे लगा रहे थे, जिसके जवाब में इमरान ख़ान के समर्थन में नारे लगा रहे थे.
स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए रोक दी. उधर, देशभर में इमरान ख़ान के समर्थक उनके प्रधानमंत्री चुने जाने पर मिठाइयां बांट रहे हैं.
शुक्रवार को बैठक शुरू होने से पहले, विपक्षी सदस्यों ने अपनी सीटों पर खड़े होकर गैलरी में मौजूद लोगों की आलोचना की.
उन्होंने स्पीकर से कहा कि इससे पहले कि कोई घटना हो जाए जो गेट पर लोग खड़े हैं, उनसे गैलरी खाली कराई जाए.
इसके बाद स्पीकर ने बैठक की शुरुआत की और नियम पढ़ कर सुनाए जिसके बाद निर्वाचित सासंद अपने पसंदीदा उम्मीदवार की लॉबी में चले गए. इमरान खान के समर्थक लॉबी नंबर ए पर, जबकि शाहबाज़ शरीफ के समर्थक लॉबी नंबर बी पर चले गए.
मत विभाजन से पहले पीटीआई के प्रमुख इमरान ख़ान ने पार्टी के संसदीय दल की बैठक की अध्यक्षता भी की.
शुक्रवार को बैठक शुरू होने से पहले, विपक्षी सदस्यों ने अपनी सीटों पर खड़े होकर गैलरी में मौजूद लोगों की आलोचना की.
उन्होंने स्पीकर से कहा कि इससे पहले कि कोई घटना हो जाए जो गेट पर लोग खड़े हैं, उनसे गैलरी खाली कराई जाए.
इसके बाद स्पीकर ने बैठक की शुरुआत की और नियम पढ़ कर सुनाए जिसके बाद निर्वाचित सासंद अपने पसंदीदा उम्मीदवार की लॉबी में चले गए. इमरान खान के समर्थक लॉबी नंबर ए पर, जबकि शाहबाज़ शरीफ के समर्थक लॉबी नंबर बी पर चले गए.
मत विभाजन से पहले पीटीआई के प्रमुख इमरान ख़ान ने पार्टी के संसदीय दल की बैठक की अध्यक्षता भी की.